Essay
पराए देश में अपना सा एहसास ("A Sense of Belonging in a Foreign Land") ~VANSHIKA KATARIA
- vanshika katari… 2025-06-21
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ज़िंदगी ने एक सवाल पूछा: विदेश या अपना देश? उस वक्त कोई जवाब नहीं था, बस उड़ान भरनी थी। अपनों की सीख साथ थी, पर अब खुद को साबित करने का वक्त था। जब सियोल (Seoul) पहुँची, तो दिल में डर और आँखों में सपने थे। हर चीज़ नई थी; भाषा, रास्ते, और लोग। एक दिन रास्ता भटक गई, ना सिम (SIM card) थी, ना कोई साथी। न फोन नंबर, न कोई जान-पहचान, बस एक अजनबी शहर और मैं। आँसू आंखों तक आ गए, जब टूटी-फूटी कोरियन (Korean) में एक लड़की से रास्ता पूछा। उसने न सिर्फ समझा, बल्कि मुझे मेरी यूनिवर्सिटी (university) तक छोड़ आई। उस दिन महसूस हुआ, पराया देश नहीं होता, बस जब तक दिल से कोई अपना न मिले, और जब किसी अनजान चेहरे में अपनापन झलक जाए, तो वही देश भी धीरे-धीरे घर बन जाता है। अब इतने महीनों बाद आँख बंद करके आस-पास के सारे रास्ते ढूंढ लूं, पर आज भी वो दिन याद आता है और मन भर आता है।
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